tag:blogger.com,1999:blog-247706982024-03-18T23:51:48.589+05:30एक शाम मेरे नामजिन्दगी यादों का कारवाँ है.खट्टी मीठी भूली बिसरी यादें...क्यूँ ना उन्हें जिन्दा करें अपने प्रिय गीतों, गजलों और कविताओं के माध्यम से!
अगर साहित्य और संगीत की धारा में बहने को तैयार हैं आप तो कीजिए अपनी एक शाम मेरे नाम..Unknownnoreply@blogger.comBlogger1003125tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-9878807235261839092024-03-18T22:58:00.005+05:302024-03-18T23:51:15.817+05:30 वार्षिक संगीतमाला 2023 : आधा तेरा इश्क़, आधा मेरा .. ऐसे हो पूरा चंद्रमा..2023 के 25 शानदार गीतों की इस वार्षिक संगीतमाला का सफ़र आधे से ज़्यादा पूरा हो चुका है और काफी अंतराल के बाद आज की इस पायदान पर एक बार फिर गूँजेगी अरिजीत सिंह की आवाज़। पर इस गीत से जुड़ी रोचक बात ये है कि जब पहली बार इस गीत का मुखड़ा लिखा और गाया गया तो अरिजीत वहाँ परिदृश्य में थे ही नहीं।इस गीत का संगीत देने वाले श्रेयस पुराणिक अपने गीतों को अक्सर सिद्धार्थ गरिमा की जोड़ी से लिखवाते रहे हैं। उनके Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-52441360412087426952024-03-14T00:55:00.003+05:302024-03-14T00:55:51.020+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : कल रात आया मेरे घर इक चोरवार्षिक संगीतमाला की पिछली पोस्ट पर मैंने जिक्र किया था देश में पनप रहे स्वतंत्र संगीत (Independent Music) का। कई अच्छे स्वतंत्र गीत बनते हैं और गुमनामी के अँधेरों में खो जाते हैं पर वहीं दूसरी ओर ऐसे भी गीत हैं जो बिना किसी प्रचार के ही वायरल हो जाते हैं। गीत के सेट और अपनी वेशभूषा पर आप चाहे जितनी भी खर्च करें वो सिर्फ कुछ दिनो् तक देखने सुनने वालों का ध्यान खींच सकता है। उसके बाद तो गीत के बोलUnknownnoreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-17735206939931515412024-03-09T01:10:00.005+05:302024-03-09T08:07:47.078+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : मैं हँसता रहा और आँखों से बह गयी नदी : कैसी कहानी ज़िंदगी ?आज कल स्वतंत्र संगीत (जिसे हम बोलचाल की भाषा में Independent Music के नाम से जानते हैं) ने आकार लेना शुरु कर दिया है। सोशल मीडिया के आ जाने के बाद हर अच्छा कलाकार छोटे छोटे बैनरों के तले अपना संगीत ढेर सारे म्यूजिकल प्लेटफार्म्स पर अपलोड कर रहा है। फिल्म संगीत और ओटीटी पर रिलीज़ फिल्मों के सारे गीतों को तब भी आप सुन सकते हैं पर स्वतंत्र संगीत के गहरे सागर के सारे मोतियों को सुनना और चुनना Unknownnoreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-42948818322986117142024-03-03T20:40:00.001+05:302024-03-03T21:19:43.415+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : रह जाओ नाहरिहरण का नाम आते ही एक शास्त्रीय ग़ज़ल गायक की छवि उभर कर सामने आती है हालांकि उन्होंने कई मशहूर हिंदी फिल्मी गीत भी गाए हैं। ज्यादातर उन्हें ऐसे मौके दक्षिण भारतीय संगीत निर्देशकों ने ही दिये हैं जिसमें ए आर रहमान का नाम आप सबसे आगे रख सकते हैं। गुरु का ऍ हैरते आशिक़ी हो या बांबे का तू ही रे, रोज़ा का रोज़ा जानेमन या फिर सपने का चंदा रे चंदा रे, रहमान और हरिहरण की जोड़ी खूब जमी है। पर रहमान के Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-77388839306766786432024-02-27T21:35:00.007+05:302024-02-29T18:11:48.323+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : चल उड़ चल सुगना गउवाँ के ओर जहाँ माटी में सोना हेराइल बाकई बार फिल्मों में ऐसे गीत बनते हैं जो उस वक्त देश और समाज के हालातों को अपने शब्दों में पिरो डालते हैं और एक तरह से देश के इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं। अभी हाल ही में सदन में प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर तंज कसते हुए एक गीत की चर्चा की ये कहते हुए कि विपक्ष के शासन के दौरान मँहगाई इतनी बढ़ गयी थी कि मँहगाई डायन खाए जात है जैसे गीत बनने लगे थे। पिछले साल के पच्चीस शानदार गीतों की इस वार्षिक Unknownnoreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-23129548412650964132024-02-26T21:55:00.008+05:302024-02-27T10:07:52.250+05:30अलविदा पंकज उधास.. भुला ना पाएँगे आपकी लोकप्रियता का वो दशक...अस्सी का दशक मेरे लिए हमेशा नोस्टाल्जिया जगाता रहा है। फिल्म संगीत के उस पराभव काल ने ग़ज़लों को जिस तरह लोकप्रिय संगीत का हिस्सा बना दिया वो अपने आप में एक अनूठी बात थी। उस दौर की सुनी ग़ज़लें जब अचानक ही ज़ेहन में उभरती हैं तो मन आज भी एकदम से तीस चालीस साल पीछे चला जाता है। बहुत कुछ था उस समय दिल में महसूस करने के लिए, पर साथ ही बड़े कम विकल्प थे मन की भावनाओं को शब्द देने के लिए।फिल्मी Unknownnoreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-67484097429124108132024-02-23T22:00:00.004+05:302024-02-23T22:19:24.663+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाउँगावार्षिक संगीतमाला की अगली सीढ़ी पर पिछले गीत की तरह ही एक बार फिर हल्का फुल्का गीत है जो कि पिछले साल खूब पसंद किया गया। फिल्म है ज़रा हटके ज़रा बचके और गाना तो आप समझ ही गए होंगे "तेरे वास्ते फ़लक से मैं चाँद लाऊँगा..."।हिंदी फिल्मों में तो चाँद सितारों को तोड़ के लाने की बातें पहले भी हुई हैं। शाहरुख खाँ पर फिल्माया एक गाना चाँद तारे तोड़ लाऊँ बस इतना सा ख़्वाब है.... तो आपको याद ही होगा। पर जब Unknownnoreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-11910541646542242812024-02-22T00:06:00.003+05:302024-02-26T12:25:09.556+05:30अमीन सयानी और उनकी प्यारी बिनाका गीतमाला आज से तकरीबन बीस साल पहले जब गीत संगीत से जुड़ा ब्लॉग एक शाम मेरे नाम शुरु किया था तो यहाँ अपनी पसंदीदा ग़ज़लों, कविताओं , किताबों की चर्चा के अलावा एक हसरत ये भी थी कि अमीन सयानी साहब की तरह अपने पसंदीदा गीतों की एक गीतमाला पेश करूँ। वो गीतमाला तो ब्लॉग पर आज तक चल रही है पर उसकी लौ जलाने वाला प्रेरणास्रोत आज इस जहान को विदा कह गया।दरअसल बचपन में मनोरंजन के नाम पर हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं था। Unknownnoreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-25072112494815931442024-02-20T22:29:00.012+05:302024-02-21T09:19:54.096+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : बाबूजी भोले भाले दुनिया फरेबी है जीवार्षिक संगीतमाला में आज जो गीत बजने जा रहा है वो किसी फिल्म का नहीं है बल्कि एक वेब सीरीज का है। ये वेब सीरीज है जुबली। जुबली की कहानी चालीस पचास के दशक के बंबइया फिल्म जगत के इर्द गिर्द घूमती है। अमित त्रिवेदी को जब इस ग्यारह गीतों वाले एल्बम की बागडोर सौंपी गई तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि किस तरह चालीस और पचास के दौर के संगीत को पेश करें कि उसे आज की पीढ़ी भी स्वीकार ले और उस Unknownnoreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-44215760661738770912024-02-15T00:01:00.006+05:302024-02-16T20:45:52.826+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : नौका डूबी रेवार्षिक संगीतमाला में पिछले साल के बेहतरीन गीतों के इस सिलसिले में आज का जो गीत है उसका नाम है नौका डूबी। ऐसे तो नौका डूबी रवीन्द्रनाथ टैगोर का एक मशहूर उपन्यास भी है जिसकी कहानी पर कई बार हिंदी और बंगाली में फिल्में बनी हैं पर आज इसी नाम के जिस गीत की चर्चा मैं करने जा रहा हूँ उसका टैगोर के उपन्यास से बस इतना ही लेना देना है कि वहाँ भी एक नौका डूबती है और कहानी में उथल पुथल मचा देती है जबकिUnknownnoreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-46734980549449017652024-02-10T21:55:00.003+05:302024-02-10T21:55:31.788+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 दिल झूम झूम जाए2023 के बेहतरीन गीतों की इस वार्षिक संगीतमाला में अगला गीत है एक sequel से जो कि अंत अंत में आकर इस गीतमाला में शामिल हुआ है। ये गीत है फिल्म गदर 2 का।आज से दो दशक पहले जब फिल्म गदर रिलीज़ हुई थी तो फिल्म के साथ-साथ उसके संगीत में भी काफी धमाल किया था। उड़ जा काले कावां कह लीजिए या फिर मैं निकला गड्डी लेकर तो जबरदस्त हिट हुए ही थे, साथ ही साथ मुसाफ़िर जाने वाले और आन मिलो सजना ने तो दिल ही Unknownnoreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-74019733491531644892024-02-04T00:33:00.009+05:302024-02-05T10:07:20.660+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 कि रब्बा जाणदा, तैनूँ कितनी मोहब्बताँ दिल करदाजुबीन नौटियाल वैसे तो करीब एक दशक से पार्श्व गायिकी में अपने गाए रूमानी गीतों की वज़ह से युवाओं के चहेते गायक रहे हैं पर जबसे उनका गीत बजाओ ढोल स्वागत में, मेरे घर राम आए हैं वायरल हुआ है तबसे क्या बच्चे और क्या बड़े सब उनके गाए गीत के साथ भक्तिमय हुए जा रहे हैं। देहरादून से ताल्लुक रखने वाले इस उभरते गायक ने कई सारे फिल्मी और गैर फिल्मी एल्बमों में गाने गाए हैं पर मुझे बजरंगी भाईजान के लिए उनका Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-75871185476518246502024-01-31T21:26:00.006+05:302024-02-05T10:03:56.203+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : ये गलियों के आवारा बेकार कुत्तेवार्षिक संगीतमाला में अब तक आपने कुछ रूमानी और कुछ थिरकते गीतों का आनंद उठाया पर आज जिस गीत का चुनाव मैंने किया है उसका मिज़ाज मन को धीर गंभीर करने वाला है और मेरा विश्वास है कि उसमें निहित संदेश आपको अपने समाज का आईना जरूर दिखाएगा। हिंदी फिल्मों में फ़ैज़ की नज़्मों और ग़ज़लों का बारहा इस्तेमाल किया गया है। कभी किरदारों द्वारा उनकी कविता पढ़ी गयी तो कभी उनके शब्द गीतों की शक़्ल में रुपहले Unknownnoreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-87112516587586829332024-01-26T00:03:00.004+05:302024-02-05T10:06:32.381+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : ओ माही ओ माही तेरी वफ़ा पर हक़ हुआ मेरावार्षिक संगीतमाला की अगली कड़ी में आज एक गीत फिल्म डंकी से। ये फिल्म तो लोगों ने उतनी पसंद नहीं की, हां पर इसके एक दो गाने यू ट्यूब पर खूब बजे, इंस्टा की रीलों पर छा गए। अब इसका सबसे ज्यादा श्रेय तो मैं संगीतकार प्रीतम को देना चाहता हूं।प्रीतम एक ऐसे संगीतकार हैं जिनकी मेलोडी पर जबरदस्त पकड़ है। वो ये बखूबी समझते हैं कि श्रोताओं को कैसी सिग्नेचर धुन, कैसे इंटरल्यूड्स पसंद आयेंगे। ज्यादातर वे Unknownnoreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-82441673294343754982024-01-21T20:49:00.001+05:302024-02-05T10:03:36.672+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 रुआँ रुआँ खिलने लगी है जमीं ...वार्षिक संगीतमाला के गीत इस साल किसी क्रम में नहीं आ रहे। पिछले साल के अपने सारे पसंदीदा गीतों को सुनवाने के बाद सारी पायदानों का खुलासा होगा सरताज गीत के साथ। पिप्पा का झूमता झुमाता गीत तो मैंने पिछली पोस्ट में सुनवाया ही था। आशा है गीत के साथ साथ ईशान खट्टर के थिरकने का अंदाज आपको भाया होगा।आज जिस गीत को मैं अपनी इस संगीतमाला में पेश कर रहा हूँ, वो बिल्कुल अलग प्रकृति का होते हुए दो बातों में Unknownnoreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-23846273396883093522024-01-18T21:47:00.006+05:302024-02-05T10:07:03.157+05:30वार्षिक संगीतमाला 2023 : मैं परवाना तेरा नाम बतानापिछले साल से एक शाम मेरे नाम की वार्षिक संगीतमालाओं का सिलसिला रुका रुका सा है। इसका मुख्य कारण कोविड के बाद से बहुतेरी फिल्मों का OTT प्लेटफार्म पर रिलीज़ होना है। कई बार इन फिल्मों के गाने ढूँढने से भी नहीं मिलते। पहले मैं साल में प्रदर्शित हर फिल्म के गीतों को सुनकर अपनी संगीतमाला को अंतिम रूप देता था पर अब ये दावा करना मुश्किल है। पर पिछले कुछ दिनों से एक शाम मेरे नाम के कई पुराने पाठकों ने Unknownnoreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-20130962309962823072023-11-21T11:14:00.006+05:302023-11-21T12:09:55.986+05:30एक अकेला इस शहर में : घरौंदा फिल्म का कालजयी गीतमहानगरीय ज़िदगी में एक अदद घर की तलाश कितनी मुश्किल, कितनी भयावह हो सकती है एक प्रेमी युगल के लिए, इसी विषय को लेकर सत्तर के दशक में एक फिल्म बनी थी घरौंदा। श्रीराम लागू, अमोल पालेकर और ज़रीना वहाब अभिनीत ये फिल्म अपने अलग से विषय के लिए काफी सराही भी गयी थी।मुझे आज भी याद है कि हमारा पाँच सदस्यीय परिवार दो रिक्शों में लदकर पटना के उस वक़्त नए बने वैशाली सिनेमा हाल में ये फिल्म देखने गया था। Unknownnoreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-12067624315438074962023-09-10T23:43:00.005+05:302023-09-10T23:59:44.440+05:30क्यों जगजीत का प्यार जल्दी जल्दी था और चित्रा का आहिस्ता आहिस्ता?जगजीत सिंह ने न जाने कितनी भावप्रवण ग़ज़लें गाई होंगी पर अपने कंसर्ट के बीचों बीच चुटकुले सुनकर माहौल को एकदम हल्का फुल्का कर देना उन्हें बखूबी आता था। उनके और लता जी की मजाहिया स्वभाव का नतीजा ये था कि जब भी वे लोग साथ मिलते आधा घंटा एक दूसरे को चुटकुले सुनाने के लिए तय होता था।जगजीत जी के साथ चित्रा जी ग़ज़लों की एक महफ़िल में अपनी निजी ज़िंदगी में भी वो ऐसे ही थे। आज उनका एक बेहद Unknownnoreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-16052590992513155912023-08-20T21:13:00.007+05:302023-08-31T12:36:58.245+05:30लबों से बात करो.... या लबों को मिल जाने दोलबों यानी होंठों का चर्चा हिंदी फिल्मी गीतों और शेर ओ शायरी में अक्सर आता रहा है। जब स्कूल में थे तो पहली बार होठों से जुड़े हुए गीत से जगजीत जी की अनमोल आवाज़ से पहला परिचय हुआ था और वो गीत इस क़दर जुबां पर चढ़ गया था कि अपने शर्मीलेपन को परे रख अपनी शिक्षिका के सामने उसे गुनगुनाया था... होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो, बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो। लबों की बात करते हुए फिल्मोंUnknownnoreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-76171546407295790772023-04-14T23:36:00.013+05:302023-04-16T08:58:52.276+05:30हसीन ख़्वाब को सच्चा समझ रहा है कोई... Haseen Khwab by Kavya Limayeआजकल संगीत जगत में एक चलन देखने में आ रहा है कि अगर कोई गीत थोड़े गंभीर मूड का हो तो उसे ग़ज़ल की श्रेणी में डाल दो भले ही वो गीत ग़ज़ल के व्याकरण से कोसों दूर हो। यहाँ तक कि ऐसी श्रेणी बनाकर विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कार भी बाँटे जा रहे हैं। ग़ज़ल की बारीकियों से आम जन भले वाकिफ़ न हों पर संगीत जगत से जुड़े लोगों में ऐसी अनभिज्ञता अखरती है। पर इस माहौल में भी अच्छी ग़ज़लें बन रही हैं और Unknownnoreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-72098979242046528262023-02-26T23:43:00.014+05:302023-03-03T10:26:09.096+05:30गुल खिले चाँद रात याद आई.. नूरजहाँ की आवाज़ में शहज़ाद जालंधरी का कलामबहुत ऐसे शायर रहे जिनकी कोई एक ग़ज़ल किसी मशहूर फ़नकार ने गाई और वो बरसों तक उसी ग़ज़ल की वज़ह से जाने जाते रहे। शहज़ाद जालंधरी साहब की ये ग़ज़ल नूरजहाँ जी ने गाई और इसकी शोहरत इसी बात से है कि इस ग़ज़ल को आज भी नए गायक उसी तरह गुनगुना रहे हैं और श्रोताओं की वाहवाही लूट रहे हैं। कल जब प्रतिभा सिंह बघेल की आवाज़ में सालों बाद इस ग़ज़ल का एक टुकड़ा सुना तो पुरानी यादें ताज़ा हो गयीं जब हम इसे Unknownnoreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-60860576370413064672023-01-18T19:36:00.004+05:302023-01-18T23:09:38.786+05:30एम एम कीरावनी : नाचो नाचो को छोड़िए क्या आपने उनके संगीतबद्ध ये गीत सुने हैं? M M Keeravaniसंगीत हो या साहित्य हमें अपने कलाकारों का हुनर तब नज़र आता है जब वो किसी विदेशी पुरस्कार से सम्मानित होते हैं। हाल ही में एम एम करीम साहब जो दक्षिण की फिल्मों में एम एम कीरावनी के नाम से जाने जाते हैं को RRR के उनके गीत नाचो नाचो (नाटो नाटो) के लिए विश्व स्तरीय गोल्डन ग्लोब पुरस्कार से नवाज़ा गया।सच पूछिए तो मुझे ये सुनकर कुछ खास खुशी नहीं मिली क्योंकि जिसने भी करीम के संगीत का अनुसरण किया है वो Unknownnoreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-33907562084291919272022-11-16T23:14:00.005+05:302022-11-17T11:12:01.686+05:30क़िस्सा क़िस्सा लखनउवा Qissa Qissa Lucknowaक़िस्सा क़िस्सा लखनउवा राजकमल द्वारा प्रकाशित एक ऐसी किताब हैं जो छोटे छोटे चुटीले क़िस्सों के माध्यम से से लखनऊ की तहज़ीब और संस्कृति के दर्शन कराती है। अगर आपका संबंध किसी भी तरह से लखनऊ शहर से रहा है या आप उर्दू जुबां की मुलायमियत के शैदाई हैं तो एक बार ये किताब जरूर पढ़नी चाहिए आपको। हिमांशु ने बड़ी मेहनत से लखनऊ के आवामी किस्से छांटें हैं इस किताब में। हिमांशु खुद भी एक बेहतरीन किस्सागो हैंUnknownnoreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-80347736025799895862022-11-13T14:47:00.003+05:302022-11-14T14:26:57.076+05:30हमसे तो वो बेहतर हैं जो किसी के ना हुए Ghazals of new web series Mukhbirहाल ही में ZEE5 पर आई एक वेब सीरीज का एक संगीत एलबम सुनने को मिला। खास बात ये कि इस एल्बम में दो ग़ज़लें भी थीं। वैसे तो आज के दौर में भी कम ही सही पर युवा कलाकार पुरानी ग़ज़लों को तो बखूबी निभा रहे हैं पर उनकी गायी नई ग़ज़लों के मिसरों में वो गहराई नहीं दिखती जो ग़ज़ल को सही मायने ग़ज़ल का रूतबा दिलाने के लिए बेहद जरूरी है।दरअसल कविता तो ग़ज़ल की आत्मा है जिसके मूड को समझते हुए Unknownnoreply@blogger.com26tag:blogger.com,1999:blog-24770698.post-23485203596224092632022-09-15T23:02:00.010+05:302022-09-16T16:47:17.885+05:30नदी के द्वीप : अज्ञेय Nadi Ke Dweepपिछले दो महीनों में मैंने पाँच किताबें पढ़ीं और उनमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ नदी के द्वीप से जिसे लिखा था अज्ञेय ने। निर्मल वर्मा की तरह अज्ञेय अपने क्लिष्ट लेखन के लिए जाने जाते हैं। इन लेखकों की किताबों को सरसरी निगाह से पढ़ जाने की हिमाकत आप नहीं कर सकते। उनके लिखे को मन में उतारने के लिए समय और मानसिक श्रम की जरूरत होती है। कई बार आप वैसी मनःस्थिति में नहीं रहते इसलिए उनसे कतराने की कोशिश Unknownnoreply@blogger.com7